उत्तराखंड सरकार 13 साल बाद एक बार फिर प्रदेश की मलिन बस्तियों का सर्वे कराने जा रही है। इस सर्वे में इन बस्तियों में रहने वाली आबादी, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं की जानकारी जुटाई जाएगी। उसके हिसाब से ही भविष्य की कार्य योजनाएं तैयार की जा सकेंगी। इससे पहले सरकार ने वर्ष 2011 में यह सर्वे कराया था।
प्रदेश के शहरी विकास विभाग ने इस सर्वे के लिए खाका तैयार कर लिया है। इसके लिए फाइल शासन को भेज दी गई है। इससे पूर्व जब वर्ष 2010 से 11 के बीच सर्वे हुआ था, उस वक्त मलिन बस्तियों की संख्या 582 थी। अब ताजा सर्वे के बाद स्पष्ट हो पाएगा, प्रदेश में मलिन बस्तियों की कुल संख्या कितनी है और इन बस्तियों में कितनी आबादी निवास करती है। यह बात स्पष्ट है कि बढ़ती आबादी के साथ मलिन बस्तियों की संख्या भी बढ़ी होगी। साथ ही इनके क्षेत्रफल में भी विस्तार हुआ है।
ऐसे में इन बस्तियों में किन मूलभूत सुविधाओं का आभाव है। प्रदेश में विस्थापन नीति के बाद कितनी बस्तियों का विस्थापन हुआ है। कितनी बस्तियों को विस्थापित किए जाने की जरूरत है। इन सब बातों की जानकारी जुटाई जाएगी। शहरी विकास विभाग के प्रस्ताव को शासन की हरी झंडी मिलते ही इस सर्वे का काम शुरू कर दिया जाएगा।
शहरी विकास विभाग के सचिव नितेश झा ने कहा, “प्रदेश में मलिन बस्तियों का सर्वे वर्ष 2011 में हुआ था, बढ़ती आबादी के साथ अब इनका क्षेत्रफल भी बढ़ा है। ऐसे में इनके क्षेत्रफल, जनसंख्या और आबादी के हिसाब से मूलभूत सुविधाएं जुटाई जा सकें, इसे ध्यान में रखते हुए नए सिरे से सर्वे कराया जाएगा।”