उत्तराखंड वाले ध्यान दें! अगर शहर में डाला है वोट तो गांव के चुनाव में न करें भागीदारी

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उत्तराखंड में हरिद्वार जिले को छोड़कर अन्य 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया गतिमान है। इस बीच कुछ लोग ऐसे हैं, जो निकाय चुनाव में किस्मत आजमा चुके हैं, लेकिन हार के बाद अब गांव का रूख करने की सोच रहे हैं। ऐसे लोगों की विपक्षी व्यक्ति की ओर से शिकायत मिलने पर नामांकन रद्द हो सकता है। ऐसे में स्पष्ट है कि गांव में यदि चुनाव लड़ने की सोच रहे हैं, तो निकाय क्षेत्र की वोटर लिस्ट से समय से नाम कटवा लिया हो।

कांग्रेस ने चुनाव आयोग से की शिकायत

इस संबंध में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी राज्य निर्वाचन आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। पार्टी का आरोप है कि कई जिलों में पंचायत चुनाव की मतदाता सूचियों में ऐसे भी नाम शामिल हैं, जो पहले निकाय क्षेत्रों में हुए चुनाव में भागीदारी कर चुके हैं। इसके बाद आयोग के सचिव राहुल गोयल की ओर से सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखकर उत्तराखंड पंचायती राज एक्ट 2016 के तहत नियमानुसार कार्रवाई के लिए लिखा गया है। राज्य निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष सुशील कुमार ने बताया कि नियमानुसार, कोई भी ऐसा व्यक्ति पंचायत चुनाव में भागीदारी कर सकता है, जिसका नाम वोटर लिस्ट में हो। संबंधित व्यक्ति का नाम दो जगह शामिल है, यह अलग विषय है। इस संबंध में शिकायत मिलने के बाद आरओ (रिटर्निंग ऑफिसर) के स्तर से जांच की जाती है। जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाती है।

सोशल मीडिया में वायरल हुआ फर्जी पत्र

सोशल मीडिया में एक फर्जी पत्र भी वायरल हो रहा है। जिसमें सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी टिहरी गढ़वाल के हवाले से कहा गया था कि जिनका नाम निकाय चुनाव की मतदाता सूची में था, अब अगर उनका नाम पंचायत चुनाव की सूची में शामिल है, तो ऐसे लोगों का चुनाव लड़ने पर नामांकन रद्द करने के निर्देश प्राप्त हुए हैं। इसके ठीक बाद मुख्य विकास अधिकारी एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी वरूणा अग्रवाल की ओर से स्पष्ट किया गया कि संबंधित पत्र फर्जी है।

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