बजट और श्रम शक्ति की कमी से योजनाएं ठप होने की बातें अक्सर आपने सुनी होंगी, लेकिन हल्द्वानी में एक लावारिश मुर्दा न मिलने से करीब तीन करोड़ की योजना ही ठप पड़ गई है। यहां नगर निगम ने विद्युत शवदाह गृह बना लिया, संचालित करने के लिए दिल्ली से विशेषज्ञ तक बुला लिए हैं। मगर, इसके ट्रायल के लिए एक लावारिस लाश की तलाश खत्म नहीं हो रही है। जबकि बीते एक महीने में निगम शहर के सभी मुर्दाघरों तक पहुंच चुका है।
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शहर के रानीबाग में लंबे समय से विद्युत शवदाह गृह बनाने की मांग उठ रही थी। ताकि गौला नदी के किनारे शवदाह करने से हो रहे प्रदूषण को रोका जा सके। काफी कोशिशों के बाद रानीबाग में ही 12,812 वर्ग फीट भूमि पर विद्युत शवदाह गृह बनाने की योजना बनाई गई।
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सितंबर 2020 से 2.91 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट पर गुरुग्राम की एक कंपनी ने काम करना शुरू किया था। अहम प्रोजेक्ट के लिए प्रदेश सरकार ने पहली किस्त के तौर पर 1.16 करोड़ रुपये निगम को जारी किए। फरवरी 2021 में भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत और मेयर डॉक्टर जोगेंद्र रौतेला ने योजना का शिलान्यास किया था। लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से निर्माण कार्य पर ब्रेक लग गया था। बाद में काम शुरू हुआ तो पहले जितनी गति नहीं पकड़ सका।
इधर, निगम का दावा है कि विद्युत शवदाह गृह का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। बीती 30 नवंबर को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हल्द्वानी में आयोजित एक कार्यक्रम में इसका लोकार्पण भी कर दिया है। लेकिन तब से अब तक शवदाह गृह काम में नहीं लाया जा सका है। इसके पीछे नगर निगम का तर्क है शवदाह गृह का ट्रायल करने के लिए एक लावारिस लाश खोजी जा रही है। ट्रायल होते ही शवदाह गृह शुरू कर दिया जाएगा।
दिल्ली से एक प्राइवेट कंपनी के दो एक्सपर्ट इसका संचालन करने के लिए बुला लिए गए हैं। निगम की मानें तो कंपनी ही शवदाह गृह का संचालन करेगी। साथ ही निगम के कुछ कर्मचारियों को विद्युत शवदाह गृह का संचालन करना भी सिखाया जाएगा।
ऐसा बना है शवदाह गृह
- एक दिन में 12-15 शव जलाए जा सकेंगे।
- इसमें चार यूनिट हैं। एक विद्युत शवदाह गृह, दो परंपरागत शवदाह गृह, एक उच्चीकृत शवदाह गृह।
- परंपरागत शवदाह गृह में शवों को जमीन पर तो उच्चीकृत में शव को लोहे के एंगलों से बने स्ट्रक्चर पर रखकर जलाया जाएगा।
नगर निगम के अवर अभियंता, केबी उपाध्याय ने कहा कि टायर, मानव डमी से विद्युत शवदाह गृह में परीक्षण पूरा हो गया है लेकिन इसकी शुरुआत के लिए एक बार शव को जलाकर परीक्षण पूरा करना होगा। ये तभी संभव होगा जब कोई लावारिस लाश यहां जलने आएगी। इसकी तलाश की जा रही है।