उत्तराखंड में नया शिक्षा सत्र शुरू हो गया है। बच्चे स्कूल जाने लगे हैं। सरकारी स्कूल अभी एनसीईआरटी की किताबें बाजार में उपलब्ध होने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, निजी स्कूलों ने मौके का फायदा उठाकर चार गुना ज्यादा दामों वाली प्राइवेट प्रकाशक की किताबें लगवा दीं।
इसके पीछे तर्क दिया जा रहा कि बाजार में एनसीईआरटी की किताबें नहीं मिल रहीं, ऐसे में बच्चों की पढ़ाई का नुकसान ना हो, प्राइवेट किताबें लगाई गईं। एनसीईआरटी हर साल अपनी साइट पर स्कूलों के लिए डिमांड फार्म जारी करता है।
निजी स्कूलों को डिमांड भरनी होती है, ताकि उस हिसाब से किताबें छापी जा सकें। लेकिन, कोई भी निजी स्कूल इस डिमांड फार्म को नहीं भरता, ताकि किताबों की कमी रहे और वे इसका फायदा उठाकर निजी पब्लिशर की किताबों को लगवा सकें।
इस साल भी बाजार में एनसीईआरटी की किताबें नहीं मिल रही हैं, जिससे ज्यादातर स्कूलों ने निजी पब्लिशर की किताबें लगा दी हैं। जबकि, सरकारी स्कूल जैसे केवि और राज्य सरकार के स्कूल अभी बच्चों को बुक बैंक या अन्य तरीकों से पढ़ा रहे हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी-बेसिक, पीएल भारती ने बताया कि स्कूलों में निजी पब्लिशर की किताबें लगवाने की तमाम शिकायतें आ रही हैं। स्कूलों को निर्देश दिए जा रहे कि वे केवल एनसीईआरटी की किताबें लगाएं। अगर किताबों की कमी है तो थोड़ा इंतजार कर लें और बुक बैंक या पुराने बच्चों की किताबों से पढ़ाएं।