ऐप के जाल में 750 करोड़ की साइबर लूट: चीन तक फैला था गिरोह, दिल्ली से मास्टरमाइंड अरेस्ट

0
328

उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने शनिवार को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक 36 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट को गिरफ्तार किया। उसके ऊपर आरोप है कि वह एक साइबर धोखाधड़ी रैकेट का मास्टरमाइंड है। गिरफ्तार किए गए सीए का नाम अभिषेक अग्रवाल है। इस पर करीब 750 करोड़ रुपये के साइबर फ्रॉड करने का आरोप है।

फर्जी कंपनियां और चीनी नागरिक

पुलिस ने बताया कि आरोपी अभिषेक अग्रवाल के खिलाफ पहले एक फर्जी लोन ऐप और वित्तीय धोखाधड़ी मामले में लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया गया था। एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत भुल्लर ने बताया कि अग्रवाल ने लगभग 35 से 40 फर्जी कंपनियां बनाई थीं। इसमें से 13 अपने नाम पर और 28 अपनी पत्नी के नाम पर। जानकारी में सामने आया है कि इनमें से कई में चीनी नागरिक सह-निदेशक थे।

फर्जी ऐप, कंपनियों और 750 करोड़ की लूट

इन कंपनियों का इस्तेमाल संदिग्ध लेनदेन में 750 करोड़ रुपये से अधिक की रकम को रूट करने और उसे लूटने के लिए किया गया था। इसी लेन-देन की अब जांच चल रही है। भुल्लर ने बताया कि अग्रवाल और उनके सहयोगियों ने इंस्टेंट लोन, मैक्सी लोन, केके कैश, रुपीगो और लेंडकर जैसे 15 से अधिक फर्जी लोन ऐप लॉन्च किए। ये ऐप पीड़ितों को कम से कम दस्तावेज़ों के साथ तुरंत लोन देने का वादा करके उन्हें अपनी ओर खींचते थे।

फर्जी ऐप और डाटा की चोरी

एक बार जब उपयोगकर्ता ऐप इंस्टॉल कर लेते थे, तो गिरोह उनके मोबाइल फोन तक पहुँच जाता था और फ़ोटो, कॉन्टैक्ट लिस्ट समेत तमाम तरह की निजी फ़ाइलों सहित पर्सनल डेटा निकाल लेता था। इसके बाद इन लोगों का असली खेल शुरू होता था। चुराए गए डाटा की मदद से ये लोगों को धमकी भरे संदेश भेजते थे। परेशान करने वाले कॉल किए जाते थे। यहां तक ​​कि उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए मॉर्फ्ड इमेज को एडिट करके प्रसारित किया जाता था।

इस भय से लोग खुद ही भेजने लगते पैसे

सामाजिक शर्मिंदगी के डर से कई पीड़ितों ने सिंडिकेट द्वारा कंट्रोल किए जा रहे बैंक खातों में बड़ी रकम ट्रांसफर कर दी थी। एक बार पैसे भेजने के बाद ये रुपये चीन और अन्य विदेशी देशों में स्थित बैंकों के खातों में ट्रांसफर कर दी जाती थी। अंकुर ढींगरा, जिसे पहले गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया था, उसने कथित तौर पर 2019-20 के बीच रैकेट शुरू किया था। उन्होंने कहा- ढींगरा ने चीनी नागरिकों को ऑपरेशन में शामिल किया था और धोखाधड़ी वाले लोन ऐप स्कीम के लिए एक आधार स्थापित करने में मदद की थी।

मास्टरमाइंड की खुली पोल पट्टी

अग्रवाल ने साल 2019 में शंघाई और शेनझेन की यात्रा की थी। इस दौरान उसने नेटवर्क का विस्तार करने और लॉन्ड्रिंग प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाने वाली शेल कंपनियों को बनाने में केंद्रीय भूमिका निभाई थी। भुल्लर ने बताया कि पुलिस ने उसके कब्जे से एक मोबाइल फोन, पासपोर्ट, भारतीय और थाई मुद्रा, एक एप्पल वॉच समेत अन्य चीजें बरामद की हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here