जनपद उधम सिंह नगर के काशीपुर में निजी अस्पतालों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अब ये अस्पताल न तो प्रशासन से डरते हैं, न सरकार से, और न ही कानून से। हम बात कर रहे हैं काशीपुर के मुरादाबाद रोड पर स्थित अनमोल हॉस्पिटल की, जहां व्यवस्थाएं तार-तार हो चुकी हैं और नियम-कानून को ऐसे ताक पर रखा जा रहा है जैसे मानो वे किसी कार्टून की किताब हों जिन्हें डस्टबिन में डाल देना ही काफी हो। अस्पताल संचालक द्वारा कर्मचारियों को वेतन न देना, स्टाफ से महीने भर काम करवाना और फिर पेमेंट के नाम पर सिर्फ झूठे वादे करना अब आम बात हो चुकी है। अस्पताल के भीतर काम करने वाले कई कर्मचारी शिकायत कर चुके हैं कि उन्हें महीनों से सैलरी नहीं दी गई है, और जब भी पूछते हैं, तो उन्हें टालने की कोशिश की जाती है।
इतना ही नहीं, इस अस्पताल को आयुष्मान योजना के अंतर्गत इलाज करने की स्वीकृति भी मिल चुकी थी जिसके तहत यहां कई मरीजों का इलाज किया जा चुका है। सवाल यह उठता है कि आखिर इस स्तर के अस्पताल को आयुष्मान योजना में किस आधार पर शामिल किया गया? क्या पैनल में जोड़ने से पहले कोई तकनीकी या भौतिक निरीक्षण नहीं किया गया? इससे भी बड़ा सवाल उठता है फायर एनओसी को लेकर। यह सवाल अब पूरे शहर में चर्चा का विषय बन चुका है। काशीपुर जैसे संवेदनशील शहर में, जहां स्वास्थ्य सेवाओं की मांग तेज है, वहां यदि ऐसे अस्पताल बिना मापदंडों के संचालन कर रहे हैं तो यह सीधे-सीधे जनता की जान से खिलवाड़ है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाए और यदि अनियमितताएं पाई जाती हैं तो तत्काल प्रभाव से अस्पताल का संचालन रोका जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।