वास्तु के मूल सिद्धांतों में यह सबसे महत्वपूर्ण है कि ऊर्जा का संचार सुचारू रूप से होता रहे। वास्तु के जितने भी नियम है उनका भी यही उद्देश्य है कि प्लॉट, घर, ऑफिस, इन सभी जगहों में ऊर्जा का वितरण सही रूप से चलता रहे। जब हम चौकोर भूखंड लेते हैं तो उस पर ऊर्जा का संचार सुचारु रूप से होता है। भूखंड में ऊर्जा वितरण का सम्बन्ध निर्माण से भी होता है। कोई भी वास्तु दोष करने से या उल्लंघन करने से सबसे पहला प्रभाव हमारे ऊर्जा वितरण पर पड़ता है।
ऊर्जा का वितरण असमान होते ही ऊर्जा नाढ़ियो में विकृति आ जाती है और उर्जा के प्रभाव में भी रुकावट आ जाती है। यही विनाश का कारण बनती है। वास्तु के जितने भी बड़े ग्रंथ है चाहे समरांगण सूत्रधार की बात करें या राजबल्लभ की बात करें, या मत्स्य पुराण की बात करे, या मयामतम की बात करें तो उसमें यही बताया गया है कि भूखंड में उर्जाओ को सुचारू रूप से चलने देने से ही व्यक्ति का उत्थान होता है और उर्जाओ के संचार में अगर रुकावट पैदा करते हैं तो मकान में रहने वाला गृहस्वामी को नाना प्रकार के निर्माण सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसमें कानूनी कारवाही, मकान का जब्त होना, निर्माण का ध्वंस होना, सरकारी कार्रवाई, धन हानि, यह सब शामिल है।
ऐसा ही कुछ ट्विन टावर के साथ भी हुआ है। यहां वास्तु के नियमों का उल्लंघन तो किया ही गया है उसके साथ साथ यह भूखंड का जो आकार है वह भी व्यक्ति को कहीं ना कहीं इतनी भीषण संकटों में डाला है। इस भूखंड में नॉर्थ-ईस्ट कटा हुआ है। नार्थ ईस्ट अर्थात ईशान कोण का मतलब जहां पर वास्तु पुरुष का सर रहता है ,यह हिस्सा अगर कटा हुआ हो तो व्यक्ति को बहुत प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार देखा गया है साउथवेस्ट का एक्सटेंशन व्यक्ति को मुकदमे और काफी गंभीर धन हानि तक पहुंचाता है।
ये दोनों दोष ही इस प्लाट में है।
कई लोगो के मन में ये प्रश्ना आ सकता है की पहले तो कई निर्माण इन्होने बनाये और बेचे ,उनमे तो समस्या नहीं आई। निर्माण को तब कामयाब माना जाता है जब आखिरी फ्लैट तक बिक जाये। कोई भी कारण से अगर फ्लैट न बन पाए या न बिक पाए तो वास्तु दोष खोजना जरुरी है।
अब मन में एक और सवाल आ सकता है की क्या ये बिल्डर इतने बड़े नुकसान से बच सकते थे या क्या फ्लैट खरीदने वालो का नुकसान बचाया जा सकता थे?
ये बिल्डर ने जब इस पुरे प्रोजेक्ट को हाथ में लिया उस वक़्त अगर ये किसी जानकर वास्तु शास्त्री से परामर्श लेते तो वे इनको उपाय जरूर बताते जिस से की आज नुकसान सबको नहीं उठाना पड़ता। इनके प्लाट के आकर के कारण इतने बड़े दुष्परिणाम आये।