जंगल का भी खेल निराला है, जिस पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। जब अच्छा खरीददार मिल जाए तो अधिकारी भी जंगल की परवाह आखिर क्यों करें। मामला पेड़ों के कटान, अवैध खनन या फिर जंगल की भूमि का हो, तो अधिकारी कार्यवाही करने की जगह पहले ही माफियाओं से मिलकर निपटा लेते हैं। यही कारण है कि जंगल में चल रहा खेल सरकार की नजरों में नहीं आता है और जंगल में बैठे अधिकारी और कर्मचारी मोटी मलाई झट से खा जाते हैं। जिसका अंदाजा शायद ही किसी को लग पाता हो।
ऐसा ही एक मामला उधम सिंह नगर के काशीपुर की कुंडेश्वरी चौकी क्षेत्र में सामने आया है। जहां रामनगर रेंज के जु़डका बीट के वन क्षेत्र में कुछ भू माफियाओं ने वन विभाग की भूमि पर कब्जा करना शुरू कर दिया। वन विभाग की भूमि पर कब्जा होने की सूचना मिलने पर वन विभाग के वन बीट अधिकारी अरुण कुमार मौके पर पहुंच गए। जहां मौके पर मौजूद भू माफियाओं द्वारा वन विभाग की भूमि पर कब्जा किया जा रहा था। वन विभाग के अधिकारी अरुण कुमार ने वन विभाग की जमीन पर कब्जा कर रहे लोगों को रोकने का प्रयास किया तो उक्त दबंगों ने वन विभाग के अधिकारी से गाली गलौज और अभद्रता शुरू कर दी। जिसके चलते वन विभाग के अधिकारी अरुण कुमार खाली हाथ वापस लौट गए।
वही इसके उपरांत वन विभाग के वन बीट अधिकारी अरुण कुमार ने मामले की जानकारी अपने विभागीय अधिकारियों को दी। जिसके उपरांत अरुण कुमार ने कुंडेश्वरी चौकी में पुलिस को नामजद आरोपियों के खिलाफ तहरीर दी है। जहां तहरीर में वन बीट अधिकारी अरुण कुमार ने भू माफियाओं पर वन विभाग की 0.5 हेक्टेयर भूमि पर खनन के उद्देश्य से वृक्षों को काटकर हैरो चलाने का आरोप लगाया है।
वही जब वन विभाग डीएफओ प्रकाश आर्य से फोन पर वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि वन विभाग की भूमि पर कब्जा करने का प्रयास कुछ भू माफियाओं द्वारा किया जा रहा था। उन्होंने बताया कि वन विभाग की भूमि पर कब्जा करने और वन विभाग के अधिकारी के साथ अभद्रता करने के आरोप में वन विभाग के वन बीट अधिकारी द्वारा पुलिस चौकी में तहरीर दी गई है और पुलिस द्वारा आगे कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
वहीं सूत्रों की माने तो तहरीर में दिखाई गई 0.5 हेक्टेयर भूमि से कहीं अधिक भूमि पर भू माफियाओं द्वारा कब्जा किया गया है। जिसका संज्ञान काफी लंबे समय से वन विभाग के बड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को है, लेकिन दो पक्षों में भूमि को लेकर हुए विवाद के चलते पूरा मामला सुर्खियों में आ गया है। अब ऐसे में अधिकारियों और कर्मचारियों पर लटक रही तलवार को भू माफियाओं पर चलाने के लिए वन विभाग के अधिकारी तहरीर देकर खानापूर्ति कर रहे हैं।
इतना ही नहीं तहरीर देने के बाद भी मामले को सेटलमेंट करने के लिए पंचायतों का दौर चल रहा है। अब तो देखने वाली बात होगी कि सरकार के नुमाइंदे भू माफियाओं पर कार्यवाही करते हैं या फिर सरकारी जमीन को बेचने वाले कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों पर सरकार की आरी चलती है।