श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के प्रकाश पर्व एवं ब्रहमज्ञानी बाबा बुड्ढा साहिब जी ग्रंथी स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर गुरूद्वारा सिंह सभा में महान गुरमत समागम का आयोजन किया गया। समागम में दरबार साहिब से पहुंचे भाई दविंदर सिंह के हुजूरी रागी जत्थे एवं भाई सरूप सिंह कडियाड़ा के टाड़ी जत्थे ने गुरू की महिमा का बखान किया।
बता दे कि बाजपुर में गुरूवार को गुरूद्वारा सिंह सभा के दीवान हॉल में महान गुरमति समागम का आयोजन किया गया। कथावाचक भाई गगनदीप सिंह हुजूरी ने कहा कि पांचवे पातशाह श्री गुरु अुर्जन देव जी ने 1604 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का संपादन करके मानवता को पावन ग्रंथ बख्शीश किया था। उन्होंने कहा कि गुरूग्रंथ साहिब में गुरू का प्रकाश विराजमान है।
उन्होंने कहा कि समूचा विश्व आज गुरू की बताई गई शिक्षा को ग्रहण कर रहा है। श्री दरबार साहिब से पहुंचे भाई दविंदर सिंह के रागी जत्थे ने भी अपनी मधुर वाणी से राग छेड़ा। उन्होंने कहा कि गुरू का नाम ही सभी दुःखों का निवारण करने के लिये बहुत है। उन्होंने कहा कि लेकिन आज के युवा पाश्चात्य संस्कृति के वशीभूत होकर धर्म से दूर भाग रहे हैं।
समागम में भाई सरूप सिंह कडियाड़ा के टाड़ी जत्थे ने गुरू की महिमा का बखान किया। समागम में ग्रंथी सभा के प्रधान भाई कुलदीप सिंह, सचिव कुलदीप सिंह, पलविंदर सिंह, रंजीत सिंह, राजेंद्र सिंह, रशपाल सिंह, सुरजीत सिंह, गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरेंद्र सिंह, हरदयाल सिंह, जगजीत सिंह, दर्शन सिंह, बलविंदर सिंह आदि सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे।