पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटकों ने चिप्स, कुरकुरे और मैगी खिलाकर जंगली जानवरों की आदत बिगाड़ दी है। इसके लालच में जंगली जानवर अपने प्राकृतिक वास स्थलों को छोड़कर सड़कों के किनारे फेंके जाने वाले भोजन का इंतजार करते रहते हैं। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले वन्यजीव थार (हेमिट्रैगस जेमलाहिगस) के व्यवहार में चौंकाने वाला बदलाव देखा जा रहा है।
केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य के चोपता, धोतीधार, तुंगनाथ, कांचुलाकर्क क्षेत्र में बड़ी संख्या में थार अब ऊपरी हिमालयी चट्टानों पर न जाकर निचले क्षेत्रों में डेरा जमाए हुए हैं। बंदर और लंगूर भी घने जंगलों में जाने के बजाय सड़क के किनारे सैलानियों का इंतजार करते हैं। इन जानवरों में खान-पान की आदतें बदलने लगी हैं।
वन्यजीव विशेषज्ञ इसे न केवल जानवरों की जिंदगी और सेहत के लिए खतरनाक बताते हैं बल्कि मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ने की आशंका भी जताते हैं। केदारनाथ वन्य जीव परिक्षेत्र के डीएफओ तरुण एस ने बताया चेतावनी के बावजूद पर्यटक नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।
सेहत खराब होने का भी डर
भारतीय वन्यजीव संस्थान के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. वाई. एस. झाला के अनुसार, इस तरह के खाद्य पदार्थ वन्यजीवों की सेहत खराब कर सकते हैं। छोटे वन्यजीवों के पीछे उनका शिकार करने रीछ, गुलदार, बाघ जैस मांसाहारी वन्यजीव भी निचले इलाकों में आएंगे।
वन्यजीवों को भोजन देना अपराध
वन्यजीव विशेषज्ञ और भारतीय वन्यजीव संस्थान के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. एस. सत्यकुमार का कहना है कि पर्यटक इस तरह खाना देकर वन्यजीवों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। यह वाइल्ड लाइफ एक्ट में अपराध की श्रेणी में भी आता है।
हादसों का खतरा
भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कमर कुरैशी ने बताया कि वन्यजीवों के सड़क किनारे आने से हादसों का खतरा रहता है।
