“ज्योतिष” या “वैदिक ज्योतिष” भारतीय संस्कृति में एक प्राचीन विद्या है जो ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति को देखती है और व्यक्ति के भविष्य को बताने का दावा करती है। ज्योतिष के अनुयाई मानते हैं कि ग्रह की स्थिति के आधार पर हमें व्यक्ति के स्वभाव, भाग्य, और आने वाले समय की घटनों का अनुमान लगता है।
जन्मपत्रिका, जिसे “जन्म कुंडली” या “राशिफल” भी कहा जाता है, व्यक्ति के जन्म के समय ग्रह की स्थिति का चित्रांकन होता है। ये चार्ट व्यक्ति के जन्म के दिन, समय और स्थान के आधार पर बनाया जाता है।
क्या आपको अपनी जन्मपत्रिका दिखानी चाहिए या नहीं : ये आपका विश्वास और मान्यता पर निर्भर करता है।
सकारात्मक दृष्टिकोन : बहुत से लोग मानते हैं कि जन्मपत्रिका उन्हें उनकी जिंदगी के कुछ क्षेत्रों में मार्गदर्शन प्रदान करती है, जैसे कि विवाह, स्वास्थ्य, आदि। ये उन्हें सहायक होती है समस्याओं का समाधान ढूंढने में या आने वाले समय को बेहतर तरीके से समझने में।
समस्यें : कुछ लोग इस पर विश्वास नहीं करते हैं या समझते हैं कि ये अधिक रूप में व्यक्ति को भ्रमित कर सकती है। अगर कोई व्यक्ति अंधविश्वास में विश्वास रखता है या उसको लगता है कि उसकी किस्मत सिर्फ ग्रह के आधार पर निर्भर होती है, तो ये उसकी व्यक्तिगत उन्नति में रुकावत डाल सकती है।
विज्ञान और समाज : अधिक वैज्ञानिक समझते हैं कि ज्योतिष एक आध्यात्मिक या मनोविज्ञान विद्या है, न कि एक वैज्ञानिक विद्या। इसका मतलब यह है कि ये व्यक्ति की मानसिक स्थिति और विश्वास पर आधारित है।
अंत में, ये निर्णय कि आपको अपनी जन्मपत्रिका दिखानी चाहिए या नहीं, आपका विश्वास, समझ, और सोच पर निर्भर करता है। कुछ लोगों के लिए ये एक मजबूत मार्गदर्शन का साधन हो सकता है, जबकी दूसरों के लिए ये सिर्फ एक मनोरंजन का साधन हो सकता है।
डॉ सुमित्रा अग्रवाल (वास्तु शास्त्री)