नींद की गोली खरीद रही थी दिल्ली की महीला, एक झटके में गंवा बैठी 77 लाख

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एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है जहां महिला गई तो थी नींद की दवाई लेने लेकिन डिजिटल अरेस्ट का ऐसी शिकार हुई कि 77 लाख रुपए गंवा बैठी। मामला अगस्त 2024 का है। जानकारी के मुताबिक दिल्ली के वसंत कुंज की रहने वाली नीरू नाम की महिला एक बेवसाइट के जरिए नींद की गोली खरीदने की कोशिश कर रही थी। । वह अपनी न्यूरोलॉजिकल बीमारी के लिए हर महीने नींद की गोलियां लेती है। जानकारी के मुताबिक उन्होंने अपनी दवाई ऑर्डर की और भूल गईं। इसके बाद उन्हें एक शख्स ने फोन किया और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के अधिकारी होने का दावा किया है। उस शख्स ने महिला अवैध ड्रग्स खरीदने का आरोप लगाया।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक शख्स ने महिला से कहा कि एनसीबी को शक है कि वह दिल्ली में ड्रग्स सप्लाई करती हैं। ये सुनकर महिला घबरा दई। इसके बाद खुद को एनसीबी अधिकारी बताने वाले शख्स ने महिला को दो ऑप्शन दिए। या तो बैंक अकाउंट की जानकारी वेरिफाई करने के लिए कुछ पैसे ट्रांसफर करो या फिर गिरफ्तारी वारंट भेजा जाएगा। इसके बाद नीरू ने घबराकर अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए अलग-अलग बैंक खातों में 3 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।

10 दिन बाद, उन्हें एक और फोन आया। उसमें भी एक शख्स ने एनसीबी अधिकारी होने का दावा किया। उसने कहा कि उसे उसकी बेगुनाही का भरोसा है और फिर उसके पैसे वापस दिलाने का वादा भी किया।

दो दिनों के भीतर, महिला के खाते में 20,000 रुपये वापस आ गए, ऐसे में अब वह अधिकारी महिला का विश्वास जीत चुका था। इसके बाद महिला के पास चार लोगों का व्हाट्सएप पर एक वीडियो कॉल आया, जिसमें ‘अच्छा पुलिसवाला’ भी शामिल था। चारों ‘अधिकारियों’ ने महिला से अपनी स्क्रीन शेयर करने और उसका अकाउंट खोलने के लिए कहा, जिसके बाद उसके सारे पैसे वापस कर दिए जाएंगे। महिला ने विश्वास कर उन लोगों की बात मानी और अनजाने में नेट बैंकिंग का एक्सेस दे दिया। महिला को कुछ समझ आता, इससे पहले ही उसके मोबाइल फ़ोन पर 5 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक के लेन-देन के कई डेबिट मैसेज आने लगे। इसके बाद जब उस अधिकारी को फोन किया जिसने पैसे लौटाने का वादा किया था, तो उसका फोन बंद आया।

24 सितंबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSCO) यूनिट में शिकायत दर्ज कराई। इसके 9 महीने बाद यानी 24 जून, 2025 को पुलिस को एक सुराग मिला और आरोपियों में से एक अखिलेश को दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित उसके किराए के फ्लैट से गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ के दौरान, अखिलेश ने अपने साथियों अमजद, शाहिद और शकील के साथ मिलकर पीड़िता के बैंक खाते से पैसे ट्रांसफर करने की बात कबूल की। आरोपियों ने खुलासा किया कि उन्होंने महिला से वीडियो कॉल पर उसके फोन की स्क्रीन शेयर करवाई, जिसके जरिए उन्हें बैंक खाते तक पहुंच मिली।

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