फेसबुक चलाते हो तो टीचर्स ऑनलाइन हाजरी क्यूं नहीं लगा सकते? उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में बायोमेट्रिक अटेंडेंस पर सवाल

0
53

उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में टीचरों के लिए लोकेशन के साथ ऑनलाइन हाजिरी भरने का मुद्दा गरमाने लगा। सोशल मीडिया पर जहां नई व्यवस्था के विरोध में शिक्षक मुखर हैं, वहीं कई शिक्षकों ने इस व्यवस्था का समर्थन भी किया है। सोशल मीडिया पर शिक्षक गोपाल मेहता ने लिखा, ‘आखिर दिक्कत क्यों? जब आप समय पर आना-जाना कर ही रहे हो तो लगा दो अंगूठा।

क्यों खुद को कमजोर करते हैं।’ नीरज मैंदोलिया लिखते हैं, ‘स्विफचेट में पांच सेकेंड में चेक इन कर अटेंडेस लग जा रही है लोकेशन में। बहुत आसान है। इसके बाद बायोमेट्रिक की आवश्यकता नहीं।’ दिनेश चंद्र पाठक का तर्क है, ‘योजना का स्वागत है। अनुरोध इतना है कि मोबाइल मैंने निजी उपयोग को मेहनत के रुपयों से लिया है।

विभागीय कार्य को विभागीय उपकरण दिलाइए।’ अरुण मैंदोलिया लिखते हैं, ‘फोन निजी है तो स्कूल में फेसबुक, व्हाट्सएप क्यों चला रहे हो भाई? विभाग के कार्यक्रमों की फोटो भी तो इससे भेज रहे हो।’

जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनेाद थापा का कहना है कि कोई भी नई व्यवस्था शिक्षकों को विश्वास में लेकर लागू की जानी चाहिए। शिक्षकों को सहयोगी समझें, संदिग्ध नहीं। अविनाश चंद्र तंज के अंदाज में लिखते हैं, ‘शिक्षकों में एक चिप ही लगा दीजिए। सारा झंझट ही खत्म।’

जिक्र भर से ही विवाद

पिछले दिनों समग्र शिक्षा परियोजना के एपीडी कुलदीप गैरोला ने एक बैठक में बताया था कि जल्द हाजिरी ऐप में लोकेशन का फीचर भी जुड़ेगा। डीजी-शिक्षा झरना कमठान के अनुसार, अभी इसपर चर्चा भर हुई है। इसे लागू नहीं किया गया है। न जाने क्यों विरोध हो रहा है? भविष्य में फीचर जोड़ा जाएगा तो व्यवहारिकता भी देखी जाएगी।

वर्तमान में यह है व्यवस्था

शिक्षकों की हाजिरी वर्तमान में भी मोबाइल से लग रही है। इसमें स्विफचेट के जरिए रोजना विद्या समीक्षा केंद्र को हाजिरी जाती है। नए फीचर में लोकेशन भी टैग होगी। प्राथमिक शिक्षक संघ के पौड़ी के जिलाध्यक्ष मनोज जुगरान कहते हैं कि आपत्ति ये है कि कई क्षेत्रों में नेटवर्क नहीं होता। वहां कैसे लोकेशन आएगी। सरकार बायोमेट्रिक व्यवस्था लागू करे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here