सरकार एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के लाख प्रयास के बावजूद गांवों में अंधविश्वास कम नहीं हो रहा है। यही वजह है कि झारखंड के जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में 11वीं की छात्रा को मृत घोषित करने के बाद भी परिजनों ने उसका पोस्टमार्टम नहीं कराया। शव को घर ले जाकर बंगाल के एक ओझा से 18 घंटे तक झाड़-फूंक कराते रहें।
गांव में पहुंची पुलिस
गांव में पुलिस-प्रशासन के पहुंचने के बाद परिजन पोस्टमॉर्टम को राजी हुए और सोमवार दोपहर शव को एमजीएम मेडिकल कॉलेज भेजा गया। मामला पटमदा थाना क्षेत्र अंतर्गत लच्छीपुर पंचायत के बांतोड़िया गांव का है। गांव के महेंद्र हांसदा की करीब 17 वर्षीय बेटी चिंतामणि हांसदा को रविवार सुबह करीब 10 बजे खेत में मवेशी चराने के दौरान जहरीले सांप ने पैर में डस लिया। तत्काल उसे कुछ समझ नहीं आया। वह करीब दो घंटे तक वहीं रही और धीरे-धीरे जब सांप का जहर शरीर में फैलने लगा तो वह घर लौट गई।
मुंह से निकलने लगा झाग
घर पहुंचने के बाद चिंतामणि ने परिजनों से पानी मांगी। इसके बाद उसके मुंह से झाग निकलना शुरू हुआ तो परिजनों को शक हुआ। पूछताछ में उसने बताया कि शायद किसी सांप ने डस लिया है। वह कुछ भी स्पष्ट जवाब नहीं दे पा रही थी। आनन-फानन में उसे एमजीएम अस्पताल लाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजन शव लेकर घर आ गए।
मृत घोषित करने के बाद ओझा से किया संपर्क
एमजीएम अस्पताल के चिकित्सक के मृत घोषित करने के बाद परिजनों ने शव को घर लाकर ओझा से संपर्क किया। इसके बाद उसे जिंदा करने के प्रयास में सोमवार तक झाड़-फूंक चलता रहा। सूचना पाकर पटमदा थाना प्रभारी करमपाल भगत गांव पहुंचे और परिजनों को समझाकर शव को एमजीएम मेडिकल कॉलेज भेजा।
पीड़ित परिवार को 4 लाख मुआवजे का है प्रावधान
बता दें कि आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से सर्पदंश से पीड़ित परिवार को 4 लाख रुपये मुआवजा मिलने का प्रावधान है। बताते हैं कि चिंतामणि पटमदा इंटर कॉलेज, जाल्ला में 11वीं की छात्रा थी। रविवार को स्कूल की छुट्टी होने की वजह से वह खेत में मवेशी चराने गई हुई थी। इस दौरान सांप के डसने से उसकी मौत हो गई।