Tuesday, April 1, 2025

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भाजपा के दो कैबिनेट मंत्रियों की गिर सकती है कुर्सी, हो सकता है बड़ा बदलाव…

उत्तराखंड अधिनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) पेपर लीक से लेकर विधानसभा बैकडोर भर्ती पर उत्तराखंड में बीजेपी सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है। भर्ती घोटाले पर सख्ती दिखाते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी भी एक्शन मोड पर नजर आए और आयोग की पांच भर्तियों को निरस्त कर दिया।

भाजपा हाईकमान भी भर्ती घोटाले पर नजर बनाए हुए है और उत्तराखंड सरकार से अपडेट्स लिए जा रहे हैं। घोटाले पर नाम सामने आने पर हाईकमान ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को दिल्ली भी तलब किया था, जबकि विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भी पार्टी के आला नेताओं के सामने अपना पक्ष रख चुकी हैं। पेपर लीक मामले में जहां एसटीएफ जांच कर रही है तो दूसरी ओर, विधानसभा में बैकडोर भर्ती का मामला सामने आने पर स्पीकर ऋतु खंडूरी ने जांच बैठा दी है। भर्ती घोटाले के बाद उत्तराखंड में सियासी माहौल काफी गरमा गया है।

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां आपस में वार – पलटवार करने में लगी हुईं हैं। ऐसे में धामी सरकार सख्त एक्शन लेने के मूड में दिखाई दे रही है।राजनीतिक सूत्रों की बात मानें तो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और चंदन राम दास पर आने वाले दिनो में भाजपा हाईकमान कुछ सख्त एक्शन ले सकती है। अग्रवाल का नाम बैकडोर भर्ती मामले से जुड़ने के बाद बीजेपी भी बैकफुट पर आ गई है। जबकि, कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास का भी स्वास्थ्य कारणों से कुछ खास परफॉरमेंस नहीं दिख रहा है। मीडिया रिपोर्ट की बात मानें तो भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने वाले सीएम धामी हाईमान की हामी के बाद कुछ एकशन ले सकते हैं।

विधानसभा बैकडोर भर्ती पर BJP-कांग्रेस असहज

विधानसभा में पिछले सरकारों के कार्यकाल में बैकडोर भर्ती से भाजपा और कांग्रेस पार्टीयों की मुश्किलें भी बढ़ीं हैं। 2016 में विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस नेता गोविंद सिंह कुंजवाल ने 159 लोगों को नौकरी पर रखा था। चौंकाने वाली बात यह है कि कुंजवाल ने अपने विधानसभा क्षेत्र जागेश्वर से बैकडोर भर्ती के जरिए कई लोगों को नौकरी दी थी। बैकडोर भर्ती मामले में भाजपा भी पीछे नहीं है। भाजपा नेता प्रेमचंद अग्रवाल ने स्पीकर रहते आचार संहिता से ठीक पहले जनवरी में भर्तियों की तैयारी कर ली थी। उन्होंने 72 लोगों को विधानसभा में नियुक्तियां दीं। लेकिन वित्त विभाग ने इसपर अड़ंगा लगा दिया था। भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल में वित्त मंत्री का भी दायित्व मिलते ही सबसे पहले उन्होंने उक्त फाइल को मंजूरी दी थीं। अग्रवाल के लिए अब ये भर्तियां गले की फांस बन चुकी हैं।

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