उत्तराखंड में नए मदरसों को मान्यता दिए जाने और पहली बार मदरसा बोर्ड का पाठ्यक्रम बनने का रास्ता साफ हो गया है। मदरसा बोर्ड की ओर से मान्यता, पाठ्यक्रम, पाठ्यचर्या समेत छह कमेटियों के गठन पर मुहर लग गई है।
ऐसे में जब उम्मीद जताई जा रही है कि मदरसों में पढ़ने वाले छात्र और अधिक संख्या में आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर और इंजीनियर भी बन सकेंगे। नए मदरसों को मान्यता देने के साथ ही अपना सिलेबस बनाने देने की तैयारी की जा रही है।
विगत दिनों बोर्ड बैठक में कमेटियों के गठन समेत कई अहम बिंदुओं पर फैसला लिया गया है। बोर्ड अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने इसकी पुष्टि कर जल्द विस्तृत मिनट्स जारी करने की बात कही।
उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त 416 मदरसे संचालित हैं। इनमें हजारों छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। मदरसा बोर्ड का सिलेबस बोर्ड गठन के बाद से ही नहीं बन सका। मान्यता समिति पिछले चार साल से नहीं है। 18 मार्च 2020 को पिछली मान्यता समिति की बैठक हुई थी। 61 नए मदरसों की मान्यता एवं 40 मदरसों के नवीनीकरण की फाइलें धूल फांक रही है। बड़ी संख्या में मदरसों ने कमेटी नहीं होने की वजह से आवेदन ही नहीं किया। करीब एक साल बाद अब बोर्ड बैठक हुई।
जिसमें इन कमेटियों पर मुहर लगी। बोर्ड अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी बोले, सिलेबस में एनसीईआरटी के ही अधिकांश पाठ्यक्रम को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा पाठ्यचर्या कमेटी शिक्षा, सांस्कृतिक, खेलकूद समेत अन्य पूरे ढांचे को विधिवत रूप देगी।
ये बनी कमेटियां और सदस्य
-पाठ्यचर्या प्रो. मो. फारूक अंसारी, मौलाना सूफियान, मौलाना शमीम अख्तर
-परीक्षा मौलाना अरशद, मौलाना अजहर, फसाहत मुईन खान, उवैस, कारी अकरम
-मान्यता रईस अहमद, मुफ्ती इकराम, मौलाना नवाब अली
-पाठ्यक्रम प्रो. सिराजुद्दीन, निजाम अख्तर, मौलाना मुकर्रम अली
-परीक्षाफल मौलाना सिब्ते हसन, हाशमी मियां, नूर इलाही
-वित्त पुलम सिंह चौहान, कुतुबुद्दीन अहमद, मोहम्मद इस्लाम (सभी कमेटियों में डिप्टी रजिस्ट्रार प्रो. शाहिद सिद्दीकी सदस्य रहेंगे)
समकक्षता के लिए सीएम गंभीर
मुंशी, मौलवी, आलिम की डिग्रियों को हाईस्कूल-इंटर की समकक्षता का दर्जा नहीं होने से पासआउट करीब 40 हजार छात्रों का भविष्य चौपट है। ना उन्हें नौकरियों मिलती और ना ही उच्च शिक्षा में दाखिला। बोर्ड अध्यक्ष बोले, समकक्षता के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी काफी गंभीर है।
प्रदेश सरकार और मदरसा बोर्ड छात्रों के एक हाथ में कुरान, एक में कंप्यूटर के लिए कार्य कर रही है। मदरसों को आधुनिक बनाकर, उनमें बेहतर दीनी और दुनियावी तालीम दी जाए। मानकों की अनदेखी न हो, मदरसों से डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस और आईपीएस निकलें, ऐसे प्रयास कर रहे हैं।
मुफ्ती शमून कासमी, अध्यक्ष, मदरसा बोर्ड