घर- गृहस्थी के मामलों में महिलाएं बॉस की भूमिका में हैं। खास तौर पर जब घर का सामान खरीदने से लेकर रिश्तेदारों के यहां जाने तक की बात हो। इन मामलों में उन्हीं की बात घर के बाकी लोग मानते हैं। अच्छी बात है कि सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 90.5 प्रतिशत महिलाएं इस तरह के फैसले खुद ही करती हैं। घरेलू मामलों में महिलाओं की भागीदारी में अगर पूरे देश की तस्वीर देंखे तो यह आंकड़ा औसतन 88.70 प्रतिशत का है।
यही नहीं अगर बात जमीन व मकान के मालिक होने की हो तो यूपी की 51 प्रतिशत महिलाएं अकेले या संयुक्त रूप से घर की मालकिन हैं यानी लिखा पढ़ी में घर की आधी या पूरी मालिक हैं। ग्रामीण महिलाओं के मुकाबले शहर की महिलाओं को घर चलाने में ज्यादा आजादी हैं। इस मामले में सबसे शीर्ष पर तीन राज्य नगालैंड, मिजोरम और पुडुचेरी आते हैं।
भारत में महिला एवं पुरुष-2025 की इसी महीने आई रिपोर्ट से यह तथ्य उजागर हुए हैं। इसे केंद्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन व सांख्यिकी मंत्रालय ने तैयार किया है। इसमें निर्णय लेने में भागीदारी के मामले को पूरे देश में अध्ययन किया गया। घर चलाने का काम भी खासा अहम है। घर के मामलो में महिलाओं की निर्णायक स्थिति जानने के लिए तीन बातों को आधार बनाया गया है। इसमें पहला है घर की जरूरतों का छोटा बड़ा सामान खरीदने में उनकी भूमिका। दूसरा है खुद के स्वास्थ्य की देखभाल करना। इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण मामला महिलाओं का अपने परिवार के सदस्यों व रिश्तेदारों के यहां जाने से जुड़ा है। इन तीनों मामलों में महिलाओं की भूमिका पुरुष के मुकाबले अमुमन निर्णायक रहती है। रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ राज्यों को लैंगिक समानता में और प्रगति की जरूरत है।
सम्पत्ति का स्वामित्व
अकेले या संयुक्त रूप से घर का मालिक होने के मामले में यूपी की महिलाओं की हिस्सेदारी 51.2 प्रतिशत है जबकि जमीन का स्वामित्व अकेले या संयुक्त रूप से होने के मामले में यह आंकड़ा 42.7 है। इससे साफ है कि जमीन के बजाए मकान में महिला स्वामित्व अपेक्षाकृत अधिक है।
उत्तराखंड में 91 फीसदी महिलाएं मनमर्जी की मालिक
अच्छी बात है कि उत्तराखंड में 91.75 प्रतिशत महिलाएं इस तरह के फैसले खुद ही करती हैं। घरेलू मामलों में महिलाओं की भागीदारी में अगर पूरे देश की तस्वीर देंखे तो यह आंकड़ा औसतन 88.70 प्रतिशत का है। उत्तराखंड के गांवों को देखें तो 90.84 प्रतिशत महिलाएं अहम निर्णय खुद लेती हैं। जहां तक संपत्ति के स्वामित्व की बात है तो इसमें 23.8 प्रतिशत महिलाएं अकेले या संयुक्त रूप से घर की मालिक हैं।
बिहार में 84 फीसदी महिलाएं खुदमुख्तार
इसी तरह बिहार में 84.04 प्रतिशत महिलाएं घर के प्रमुख मामलो में खुद निर्णय लेती हैं। घरेलू मामलों में महिलाओं की भागीदारी में अगर पूरे देश की तस्वीर देंखे तो यह आंकड़ा औसतन 88.70 प्रतिशत का है। खास बात यह कि बिहार में ग्रामीण महिलाएं फैसले लेने में शहरी महिलाओं से ज्यादा स्वतंत्र हैं। इस मामले में निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी 87.02 प्रतिशत है। जहां तक संपत्ति के स्वामित्व की बात है तो इसमें 54.4 प्रतिशत महिलाएं अकेले या संयुक्त रूप से घर की मालिक हैं।
झारखंड में 94.56 फीसदी महिलाएं मन की मालिक
इस मामले में झारखंड बहुत बेहतर स्थिति में है। खासतौर पर जब घर का सामान खरीदने से लेकर रिश्तेदारों के यहां जाने तक की बात हो। अच्छी बात है कि झारखंड में 94.56 प्रतिशत महिलाएं इस तरह के फैसले खुद ही करती हैं। झारखंड में यह आंकड़ा यूपी, बिहार, उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों से बेहतर है। घरेलू मामलों में महिलाओं की भागीदारी में अगर पूरे देश की तस्वीर देंखे तो यह आंकड़ा औसतन 88.70 प्रतिशत का है। जहां तक संपत्ति के स्वामित्व की बात है तो झारखंड में इसमें 63.6 प्रतिशत महिलाएं अकेले या संयुक्त रूप से घर की मालिक हैं।
दिल्ली की महिलाएं फैसले लेने में यूपी से पीछे
दिल्ली में 91.6 प्रतिशत महिलाएं इस तरह के फैसले खुद ही करती हैं। घरेलू मामलों में महिलाओं की भागीदारी में अगर पूरे देश की तस्वीर देंखे तो यह आंकड़ा औसतन 88.70 प्रतिशत का है। जहां तक संपत्ति के स्वामित्व की बात है तो दिल्ली में 21.9 प्रतिशत महिलाएं अकेले या संयुक्त रूप से घर की मालिक हैं।
घरेलू निर्णय लेने में महिला भागीदारी (राज्यवार)
राज्य भागीदारी (प्रतिशत)
आंध्र प्रदेश-83.42
असम-93.5
बिहार-84.04
छत्तीसगढ़-96.54
गोवा-89.26
गुजरात-94.37
हरियाणा-90.05
हिमाचल प्रदेश-93.78
झारखंड-94.56
कर्नाटक-86.2
केरल-93.58
दिल्ली- 91.96
मध्य प्रदेश-91.72
महाराष्ट्र-90.7
ओडिसा-89.85
पंजाब-93.27
राजस्थान–90.6
तमिलनाडु -91.76
तेलंगाना –88.87
पश्चिम बंगाल-96.07