‘यौन उत्पीड़न की शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया’, आत्मदाह का प्रयास करने वाली छात्रा के पिता का दर्द

0
240

यौन उत्पीड़न के एक मामले में कथित तौर पर न्याय न मिलने पर रविवार को आत्मदाह का प्रयास करने वाली 20 वर्षीय कॉलेज छात्रा के पिता ने सनसनीखेज दावा किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कॉलेज प्रशासन ने उनकी बेटी पर अपनी शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया था। राजकीय फकीर मोहन (स्वायत्त) कॉलेज के प्राचार्य दिलीप घोष पर आरोप लगाते हुए पिता ने भुवनेश्वर में संवाददाताओं से कहा, ‘मेरी बेटी के दोस्तों ने मुझे बताया कि उसने प्राचार्य से मिलने के कुछ ही मिनट बाद खुद को आग लगा ली। वह अपने आरोपों की जांच कर रही आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के निष्कर्षों को जानने के लिए उनके कक्ष में गई थी।’

बेटी ने ऐसा कदम क्यों उठाया? पिता ने बताया
पिता ने कहा, ‘प्राचार्य ने मेरी बेटी को बताया कि आईसीसी को शिक्षा विभाग की प्रमुख समीरा कुमार साहू के खिलाफ उसके यौन उत्पीड़न के आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि इस खबर से उसकी मानसिक स्थिति और बिगड़ गई होगी, जिसके कारण उसने खुद को आग लगा ली।

प्रिंसिपल घोष पर लगाए गंभीर आरोप
इसस पहले प्रिंसिपल घोष ने कहा कि पीड़िता उनसे उनके कक्ष में मिली थी और उन्होंने उसे परामर्श दिया था। पिता ने बताया कि उन्होंने पीड़िता को यह भी बताया था कि शिक्षक पर झूठे आरोप लगाने के कारण कॉलेज प्रशासन उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। पीड़िता के पिता ने यह भी आरोप लगाया कि साहू ने धमकी दी थी कि अगर उसने उनकी बातें नहीं मानीं तो वह उसके शैक्षणिक रिकॉर्ड खराब कर देंगे।

‘छात्रा बहुत मानसिक तनाव में थी’
उन्होंने आगे कहा, ‘जब पीड़िता ने आईसीसी में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, तो उन्होंने कुछ छात्रों को इकट्ठा किया और दावा करना शुरू कर दिया कि उसके सभी आरोप निराधार हैं। वह बहुत मानसिक तनाव में थी। प्रिंसिपल ने मेरी बेटी को कोई सांत्वना भी नहीं दी।’ पीड़िता के पिता ने यह भी दावा किया कि उनकी बेटी की ओर से शिक्षक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद उन्होंने प्रिंसिपल से मुलाकात भी की थी। उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा, ‘प्रिंसिपल ने मुझे चिंता न करने के लिए कहा था और कहा कि जो भी समस्याएं हैं, वे उन्हें सुलझा लेंगे।’

30 जून को शिक्षक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी
छात्रा ने 30 जून को शिक्षक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी और 2 जुलाई को कॉलेज परिसर में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। उसके भाई ने बताया कि उसने ‘एक्स’ पर एक संदेश भी पोस्ट किया था, जिसमें न्याय की गुहार लगाई गई थी और मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री, स्थानीय सांसद, विधायक और अन्य अधिकारियों को टैग किया गया था।

प्रिंसिपल ने जताई जान को खतरे की आशंका
इस बीच उच्च शिक्षा विभाग द्वारा शनिवार को निलंबित किए गए घोष ने कहा, ‘मुझे अपनी जान को खतरा महसूस हो रहा है और मैंने बालासोर जिला प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है।’

तुरंत कार्रवाई की होती तो यह घटना टाली जा सकती थी: कुलपति
फकीर मोहन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संतोष त्रिपाठी ने कहा कि अगर कॉलेज प्रशासन ने पीड़िता के आरोपों पर तुरंत कार्रवाई की होती तो यह घटना टाली जा सकती थी। कुलपति ने संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे पता है कि प्रिंसिपल एक अच्छे इंसान हैं, लेकिन उन्हें इस मुद्दे को सुलझाने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी। छात्रा ने लगभग 11 दिनों तक इंतजार किया और फिर खुद को आग लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया।’

‘बेटी भावनात्मक रूप से कमजोर नहीं थी’
लड़की के पिता ने इस बात से इनकार किया कि उनकी बेटी भावनात्मक रूप से कमजोर थी। उन्होंने रुंधे गले से कहा कि वह लड़कियों के लिए आत्मरक्षा की एक कुशल प्रशिक्षक थीं। उन्होंने सुंदर कविताएं लिखीं और 2024 में कॉलेज में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता। मुझे तो यह भी नहीं पता कि मैं अपनी बेटी को वापस घर ले जा पाऊंगा भी या नहीं। इस बीच काली प्रसन्ना महापात्र की अध्यक्षता वाली उच्च शिक्षा विभाग की तीन सदस्यीय समिति ने इस मामले में प्रिंसिपल घोष और आईसीसी सदस्यों से पूछताछ की।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here