मदरसा आधुनिकीकरण योजना में धोखाधड़ी करने के मामले में आजमगढ़ के 11 मदरसा संचालकों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। जिले में अभी 209 और मदरसा संचालकों पर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। योजना के तहत मानदेय लेने वाले शिक्षकों में भी खलबली मची है।
वर्ष 1995 में केंद्र सरकार ने मदरसा आधुनिकीकरण योजना लागू की थी। जिसके बाद जिले के मदरसों में कहीं एक कहीं दो शिक्षकों की मानदेय पर तैनाती की गई थी। शुरू में 22 सौ रुपये मानदेय निर्धारित किया गया था। आधुनिकीकरण योजना बंद होने तक मानदेय की राशि सात हजार रुपये कर दी गई थी। योजना के तहत मानदेय की राशि सीधे शिक्षकों के खाते में भेजी जाती थी। जिले में वर्ष 2009-2010 में मदरसों के फर्जीवाड़े का मामला सामने आया था। 2017 में इसकी शिकायत शासन स्तर पर पहुंची। एसआईटी की जांच में जिले में 313 मदरसों में से 219 अस्तित्वविहीन पाए गए। इनका संचालन कागजों पर ही किया जा रहा था। एसआईटी ने वर्ष 2023 में जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। इस पर शासन ने अस्तित्वविहीन 219 मदरसों के संचालकों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। शासन के आदेश पर आर्थिक अपराध शाखा फर्जीवाड़े में शामिल मदरसों के संचालकों पर केस दर्ज करा रही है।
एसपी ग्रामीण चिराग जैन ने बताया कि ईओडब्ल्यू के इंस्पेक्टर ब्रह्मप्रकाश सिंह ने जिले के विभिन्न थानों में तहरीर दी है। इसमें बताया गया है कि 2023 में शासन द्वारा एक जांच ईओडब्ल्यू को दी गई थी। जिले में संचालित मदरसा संचालकों ने पोर्टल पर सूचना अपलोड की थी और सरकार से अनुदान ले रहे थे।
इसकी जांच कराने के लिए ईओडब्ल्यू को आदेश दिया गया था। पोर्टल पर 313 मदरसे दर्ज थे। जांच में 219 मदरसे ऐसे पाए गए, जिनका कोई वजूद ही नहीं था। इसके बाद भी सरकारी अनुदान का फर्जी तरीके से उपयोग किया जा रहा था। जांच आख्या ईओडब्ल्यू ने उपलब्ध कराई। इसके बाद इस मामले में मुकदमा दर्ज कराने की कवायद शुरू कर दी गई है। अब तक विभिन्न थानों में 11 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। आगे भी तहरीर के आधार पर मुकदमे दर्ज किए जाएंगे।