अमरोहा मेहमानों की मौजूदगी में मंडप से दुल्हन को लेजाकर नाबालिग बताकर बाल कल्याण समिति के सामने पेश कर वन स्टॉप सेंटर भेज दिया। परिजनों ने दुल्हन के बालिग होने के सुबूत संग बदनामी होने का हवाला देते हुए मिन्नतें कीं लेकिन जिम्मेदार अफसरों ने उनकी एक नहीं सुनी। आरोप है कि 50 हजार रुपये की रिश्वत देने से इनकार करने पर शादी रुकवा दी। इससे आहत किसान ने अदालत की शरण ली। याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेएम कोर्ट ने जिला प्रोबेशन अधिकारी के अलावा सात कर्मियों को जांच के आदेश दिए हैं। प्रकरण में डीएम को पांच मई तक अदालत में जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
मामला हसनपुर कोतवाली क्षेत्र के एक गांव से जुड़ा है। यहां पर एक किसान का परिवार रहता है। बीती पांच मार्च को गांव में किसान की बहन की शादी थी। मेहमान खाना खा रहे थे, बारात आ चुकी थी। उसी दौरान सुरभि यादव, आदिल, गजेंद्र के अलावा गांव शहबाजपुर गुर्जर के रहने वाले कपिल, गांव सिरसा गुर्जर के रहने वाले अशोक, मनोज, वीरू और एक अज्ञात व्यक्ति शादी में पहुंच गए। दुल्हन को नाबालिग बताते हुए इन लोगों ने शादी की रस्मों को रुकवा दिया। किसान ने आधार कार्ड दिखाते हुए बहन के बालिग होने का सुबूत दिया लेकिन किसी ने एक नहीं सुनी। आरोप है कि 50 हजार रुपये की रिश्वत देने की मांग की।
किसान ने असमर्थता जताई तो दुल्हन को मंडप से साथ में विकास भवन ले आए और यहां बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश करने के बाद वन स्टॉप सेंटर भेज दिया। आरोप है कि जिला प्रोबेशन अधिकारी के आदेश पर उन लोगों ने किसान की बेटी का फर्जी आधार कार्ड बनवाकर जेल भिजवाने की भी धमकी दी। ऐनवक्त पर शादी रुकने से बदनामी होने से किसान के परिवार को गहरा सदमा लगा है। किसान ने मामले में पुलिस स्तर पर शिकायत की, लेकिन कोई मदद नहीं की गई। आखिर में अदालत की शरण ली। सीजेएम ओमपाल सिंह ने किसान के आरोपों की जांच कराना जरूरी समझा। डीएम को पांच मई तक पूरे प्रकरण की जांच रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।