वायनाड छोड़ने के राहुल गांधी के फैसले का कांग्रेस पर काफी असर पड़ सकता है. कांग्रेस और प्रियंका गांधी वाड्रा को एक तरफ तो लेफ्ट मोर्चा की कोशिशों से और दूसरी तरफ बीजेपी द्वारा लगाए जा रहे परिवारवाद के आरोपों से लड़ना होगा. लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी के दो सीटों से जीतने के बाद से ही यह सवाल खड़ा हो गया था कि वो अंत में कौन सी सीट अपने पास रखेंगे और कौन सी छोड़ेंगे. एक तरफ रायबरेली कांग्रेस का और नेहरू-गांधी परिवार का पुराना गढ़ है तो दूसरी तरफ वायनाड वो सीट है जिसने 2019 में राहुल गांधी को तब चुना जब उनकी पुरानी सीट अमेठी के मतदाताओं ने उनका साथ छोड़ दिया. अब वायनाड छोड़ने के उनके फैसले की वजह से वहां उप-चुनाव होंगे और पार्टी को दोबारा संघर्ष करना होगा.
हालांकि लोकसभा चुनावों में राहुल वहां काफी बड़े अंतर से जीते थे (3,64,422 वोट), लेकिन कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों ने राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन का हिस्सा होते हुए भी केरल में, खास कर वायनाड में, एक दूसरे के खिलाफ काफी कड़वी लड़ाई लड़ी थी. वायनाड का दिल जीतने की जरूरत लेफ्ट मोर्चे ने सीपीआई की वरिष्ठ नेता ऐनी राजा को वायनाड से उतारा था. ऐनी को काफी बुरी हार का सामना करना पड़ा और अब उप-चुनाव में मोर्चा दोबारा उन्हीं को मैदान में उतारेगा, इसकी अभी घोषणा नहीं हुई हैं. लेकिन राहुल के वायनाड छोड़ने पर ऐनी ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है और कहा है कि वायनाड के मतदाताओं के साथ अन्याय हुआ है. अब देखना होगा कि लेफ्ट प्रियंका के खिलाफ वायनाड से किसको उतारेगा।
यब भी देखना होगा कि प्रियंका इस सीट पर अपने भाई जैसी लोकप्रियता हासिल कर पाएंगी या नहीं. वो कई सालों से पार्टी के लिए कई राज्यों में कैंपेन कर चुकी हैं लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव ऐसे पहले चुनाव हैं जहां उनके अभियान के बाद पार्टी को सफलता मिली है. परिवारवाद का आरोप प्रियंका और उनकी पार्टी के लिए संघर्ष का दूसरी मोर्चा बीजेपी ने खोल दिया है. बीजेपी ने कांग्रेस पर वायनाड की जनता को धोखा देने के साथ साथ परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप भी लगाए हैं.
केरल के तिरुवनंतपुरम से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले बीजेपी नेता राजीव चंद्रशेखर ने एक्स पर लिखा कि कांग्रेस इस परिवार के सदस्यों को एक के बाद एक कर वायनाड के मतदाताओं पर थोप रही है. प्रियंका यदि चुनाव जीत जाती हैं तो यह पहली बार होगा जब वो, उनके भाई और उनकी मां सोनिया गांधी तीनों एक समय में संसद के सदस्य होंगे. सोनिया गांधी इस समय राज्यसभा की सदस्य हैं. चुनावों से पहले माना जा रहा था कि इन्हीं आरोपों से बचने के लिए प्रियंका चुनाव नहीं लड़ रही हैं, लेकिन अब पार्टी ने अपना रुख बदल लिया है.