उत्तराखंड हाई कोर्ट ने डेट पर जाने वाले नाबालिग लड़के लड़कियों को लेकर राज्य सरकार से सवाल किया है। कोर्ट ने पूछा है कि क्या ऐसे मामलों में गिरफ्तारियों से बचा जा सकता है। कोर्ट ने सरकार से इस बात की जांच करने के लिए कहा है कि क्या लड़कों को गिरफ्तार ना करने के लिए सीआपीसी की धारा 161 के तहत बयान दर्ज करना काफी होगा। मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ आगे कहा, नाबालिग लड़की के साथ डेट पर गए किसी भी लड़के को ज्यादा से ज्यादा बुलाकर समझाया जा सकता है लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा, राज्य सरकार इस मुद्दे की जांच कर सकता है और पुलिस को सामान्य निर्देश जारी कर सकता है। अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें लड़की के माता- पिता की तरफ से लड़कों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद गिरफ्तार किए जाने के मुद्दे की जांच करने के लिए राज्य को निर्देश देने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि ऐसी घटना POCSO अधिनियम के तहत अपराध नहीं बनती है। वकील मनीषा भंडारी की तरफ से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि ऐसे मामलों में आमतौर पर लड़कों को एकमात्र दोषी माना जाता है और दंडित किया जाता है जो उचित नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी।
हिरासत में 20 नाबालिग लड़के
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने यब बात भी आई कि डेटिंग को लेकर 20 नाबालिग लड़के अभी भी हिरासत में है। जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने पूछा कि ऐसे मामलों में केवल लड़कों को ही क्यों पकड़ा जाता है जबकि लड़कियों को छोड़ दिया जाता है।