ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रविवार को एकबार फिर कहा कि वह उत्तराखंड में पारित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा। यही नहीं उसने यह भी कहा कि वह सर्वोच्च न्यायालय के उस ताजा फैसले को चुनौती देगा जिसमें तलाकशुदा महिलाओं को ‘इद्दत’ की अवधि के बाद भी गुजारा भत्ता मांगने की छूट दी गई है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल नल लॉ बोर्ड ने रविवार को कार्यसमिति की बैठक की। इस बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।
बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने बताया कि बैठक में आठ प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की गई। पहला प्रस्ताव हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में था, जिसमें शीर्ष अदालत की ओर से तलाकशुदा महिलाओं को ‘इद्दत’ की अवधि के बाद भी गुजारा भत्ता मांगने की इजाजत दी गई है। इलियास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला शरिया कानून से टकराता है। भले ही यह महिलाओं के हित में होने का दावा करता है, लेकिन निकाह के नजरिए से यह फैसला महिलाओं के लिए परेशानी का सबब बन जाएगा।
कासिम रसूल इलियास ने कहा कि यदि तलाक के बाद भी पुरुष को गुजारा भत्ता देना है, तो वह तलाक क्यों देगा? यदि रिश्ते में कड़वाहट आ गई है, तो इसका खामियाजा किसे भुगतना पड़ेगा? हम कानूनी समिति से सलाह-मशविरा करके इस फैसले को वापस लेने के तरीके पर काम करेंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को फैसला दिया था कि सीआरपीसी की धारा 125 मुस्लिम विवाहित महिलाओं समेत सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होती है। वे इन प्रावधानों के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता मांग सकती हैं।