बंद कमरे में गंदगी में सड़ रही थी किशोर की लाश… मां-बहन समझती रहीं जिंदा

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एक फ्लैट में फर्श पर गंदगी और कूड़े में  किशोर का सड़ा हुआ शव मिला। फ्लैट में शव के साथ मां और बहन भी थीं, वो उसे जिंदा समझ रही थीं।

गाजियाबाद के साहिबाबाद के सूर्यनगर रिपोर्टिंग चौकी क्षेत्र के चंदरनगर में रविवार सुबह फ्लैट में फर्श पर गंदगी और कूड़े में तेजस (14) का तीन दिन पुराना सड़ा शव मिला। हैरत की बात है कि मां कोमल और बहन काव्या दोनों तेजस को जिंदा समझकर उसके साथ ही रह रहीं थीं। फ्लैट से बदबू आने पर स्थानीय लोगों ने तेजस के मामा को सूचना दी। 

सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर काफी देर तक दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया। बाद में दरवाजा तुड़वाकर शव को बाहर निकाला। इस दौरान पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। कमरे में अंधेरा और गंदगी ज्यादा होने से वहां रुकना मुश्किल हो रहा था। पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।

पुलिस ने बताया कि चंदरनगर में कोमल पत्नी अमित जैन, बेटा तेजस (14) और बेटी काव्या (22) के साथ रहती हैं। पति की करीब 11 साल पहले बीमारी से मौत हो गई थी। तभी से तीनों मानसिक रूप से बीमार रहने लगे। सुबह साढ़े दस बजे करीब दिल्ली चावड़ी बाजार निवासी प्रशांत जैन ने सूचना दी कि चंदरनगर में उनकी बहन कोमल के फ्लैट से बदबू आ रही है। 
थानाध्यक्ष प्रीति सिंह टीम को लेकर फ्लैट पर पहुंचीं। काफी देर तक उन्होंने दरवाजा खटखटाया लेकिन कोमल या किसी सदस्य ने कोई जवाब नहीं दिया। पुलिस ने वेल्डिंग वाले की मदद से दरवाजा काटा और फ्लैट में प्रवेश किया। अंदर घुसते ही पुलिसकर्मियों को गंदगी और बदबू से सांस लेना मुश्किल हो गया।

टीम ने किसी तरह कमरे में फर्श पर कूड़े और गंदगी में पड़े तेजस (14) के शव को अपने कब्जे में लेकर जांच की। वह अर्धनग्न अवस्था में था। वहां चारों तरफ जाले लगे थे और बिजली नहीं जलाने से अंधेरा था। पुलिस ने कोमल और काव्या से काफी देर मौत का कारण जानना चाहा लेकिन दोनों मृत तेजस को देखकर हंस रही थीं। 

मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने से पुलिस को मौके पर खास साक्ष्य नहीं मिले। उसके शरीर पर चोट के भी निशान नहीं मिले। पुलिस को आशंका है कि तेजस की मौत तीन दिन पहले हुई थी। दोनों मां और बहन मृतक के साथ कमरे में ही रह रही थीं। मामले की सूचना के बाद कोमल के भाई प्रशांत भी मौके पर पहुंचे गए थे।

फरवरी में भाई के लिए नहीं खोला दरवाजा, ऑनलाइन भेजते हैं रुपये
पुलिस जांच में आया कि कोमल, काव्या व तेजस की मानसिक स्थिति इतनी भी ठीक नहीं है कि वह घर में खाना बनाकर खा सकें। फरवरी माह में प्रशांत बहन से मिलने चंदरनगर पहुंचे थे लेकिन काफी देर तक उनके लिए दरवाजा नहीं खोला गया।

इसके बाद वह घर लौट गए। वह बहन का जीवन यापन करने के लिए ऑनलाइन वॉलेट से खाते में महीने में दो बार रुपये भेजते हैं।  स्थिति ठीक होने पर काव्या ही एटीएम से रुपये निकालने जाती है और वह सुधार के दौरान ही दो-तीन दिन में एक-दो बार ऑनलाइन फूड ऑर्डर करती है।

हैरत की बात है कि जब भी डिलीवरी मैन खाना देने आता था तो वह दरवाजा नहीं खोलतीं और पैकेट को दरवाजे के पास रखवा देतीं।  इसके बाद तीनों चुपके से पैकेट उठाकर अंदर ले जाते थे। इतना ही नहीं, पड़ोसियों ने पिछले आठ-नौ महीने से किसी को भी घर में सफाई करते नहीं देखा। ऐसे में वे कूड़े और गंदगी को अंदर ही रखते हैं।

तीनों का इभास अस्पताल से चल रहा उपचार
पुलिस का कहना है कि प्रशांत और स्थानीय लोगों से पूछताछ में पता चला कि तेजस कई महीनों से बीमार था। जबकि कोमल और काव्या का भी दिल्ली के इभास अस्पताल से इलाज चल रहा था।

कोमल ने पिछले साल अस्पताल में भर्ती होने के लिए कहा था लेकिन डॉक्टरों ने प्रकिया पूरी करने के लिए कहा था, जिसे तीनों पूरी नहीं कर पाए थे। फिलहाल भाई प्रशांत ने भांजे तेजस का शव पोस्टमार्टम के लिए जाने के बाद घर में साफ-सफाई कराने और बहन व भांजी का अस्पताल से उपचार कराने की बात कही है।

एसीपी साहिबाबाद रजनीश उपाध्याय का कहना है कि फ्लैट का दरवाजा तोड़कर किशोर का शव बाहर निकाला गया। अंदर कमरे में काफी गंदगी और बदबू फैली थी। तीनों सदस्यों की मानसिक हालत ठीक नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से तेजस की मौत का समय और कारण स्पष्ट होगा। रिपोर्ट आने पर ही कुछ कहा जाएगा।

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