उधम सिंह नगर में भू माफियाओं का तांडव देखने को मिल रहा है, जहां भू माफिया खेती की जमीनों पर अवैध रूप से कालोनियों का निर्माण कर रहे है और लोगों को महंगे दामों पर बेच रहे है। अवैध रूप से हो रही कालोनियों की जानकारी होने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी कोई कार्यवाही करते नजर नहीं आ रहे है। जिससे माफियाओं के हौसले बुलंद है और खेती की जमीन कंक्रीट के जंगलों में तब्दील हो रही है। अवैध कालोनियों के हो रहे निर्माण से प्रकृति को भी काफी नुकसान हो रहा है। लगातार हो रही अवैध कालोनियों के निर्माण की जानकारी होने के बाद भी अधिकारियों द्वारा कार्यवाही नहीं किया जाना अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
अवैध कालोनियों की सूची








बता दे कि बाजपुर में जहां खेती की जमीनों पर पहले किसानों द्वारा खेती की जाती थी और खेतों में फैसले लहराती थी, लेकिन भूमाफियाओं का जंगल राज अब खेती की जमीनों को निशाना बना रहा है। जहां माफियाओं ने खेती की जमीनों को कंक्रीट के जंगल में तब्दील करना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि बाजपुर में भू माफियाओं द्वारा अवैध रूप से कॉलोनीयों का निर्माण किया जा रहा है। यहां कोई गांव ही ऐसा होगा, जहां भू माफियाओं ने कॉलोनी का निर्माण नहीं किया होगा।
भूमाफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि उन्हें अधिकारियों की भी परवाह नहीं है, लेकिन अधिकारी है की जानकारी होने के बाद भी कोई कार्यवाही करते नजर नहीं आ रहे हैं। यही कारण है कि बाजपुर में करीब 140 अवैध कालोनीयों का निर्माण किया जा रहा है। बाजपुर में बड़े पैमाने पर हो रही अवैध कॉलोनी की जानकारी जिम्मेदार अधिकारियों को भी है, लेकिन अधिकारी है कि अपने कार्यालय में कुर्सी का मजा लेकर मदारी का तमाशा देख रहे हैं। आपको बता दें कि बाजपुर में भू माफियाओं ने खेती की जमीनों के साथ-साथ फलों के बाग और उद्योगों की जमीनों को अवैध कॉलोनी का स्वरूप दे दिया है।
बाजपुर में बड़े पैमाने पर हो रही अवैध कालोनियों के कारण प्रकृति को भी भारी नुकसान हो रहा है। अब ऐसे में देखने की बात है की जिम्मेदार अधिकारी आखिर कब तक भूमाफियाओं द्वारा खेले जा रहे इस खेल का तमाशा देखते रहेंगे, या फिर इन अवैध कॉलोनी के निर्माण पर किसी तरह की रोक लगाई जाएगी। क्योंकि जिस तरह से अवैध कॉलोनी का निर्माण हो रहा है तो ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब खेती की जमीन बेहद कम रह जाएगी और लोगों को अनाज के लिए दूसरे शहरों ओर प्रदेशों की ओर आस भरी निगाह से देखना पड़ेगा।