Thursday, May 15, 2025

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परिवार के लिए पाकिस्तान को बचा रहे ट्रंप? पहलगाम अटैक के बाद हुई क्रिप्टो डील का खुलासा

पाकिस्तान ने हाल ही में एक क्रिप्टोकरेंसी कंपनी, वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) के साथ महत्वपूर्ण समझौता किया है। इस कंपनी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के परिवार की 60% हिस्सेदारी है। यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इस डील ने क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर कई सवाल खड़े किए हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या ट्रंप ने अपने परिवार के फायदो को ध्यान में रखते हुए भारत-पाकिस्तान के बीच कथित मध्यस्थता कराई?

बता दें कि यह डील पाकिस्तान की जल्दीबाजी में बनाई गई ‘पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल’ और WLF के बीच साइन की गई थी। इस काउंसिल ने हाल ही में बाइनेंस के फाउंडर और दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज के CEO चांगपेंग झाओ को अपना सलाहकार नियुक्त किया है। काउंसिल का उद्देश्य पाकिस्तान को दक्षिण एशिया की क्रिप्टो राजधानी बनाना है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, क्रिप्टो काउंसिल मात्र एक महीने पुरानी थी, फिर भी डील के लिए WLF के प्रतिनिधिमंडल में बड़ी हस्तियां शामिल रहीं। इनमें ट्रंप के गोल्फ बडी स्टीव विटकॉफ के बेटे जैकरी विटकॉफ प्रमुख थे। जैकरी की इस्लामाबाद यात्रा के दौरान उन्हें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर ने विशेष सम्मान दिया। खास बात यह रही कि इस मुलाकात के कुछ ही दिनों बाद पहलगाम में पर्यटकों पर हमले की एक दुखद घटना हुई- जहां उन्हें धर्म के आधार पर अलग कर उनकी हत्या कर दी गई। ऐसा माना जा रहा है कि इस हमले के लिए पाक सेना प्रमुख ने “क्लियरेंस” दिया था।

पहलगाम हमले के बाद हुई डील

22 अप्रैल को पहलगाम अटैक के बाद, पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल और वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल ने 26 अप्रैल को इस्लामाबाद में एक पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान में ब्लॉकचेन तकनीक, स्टेबलकॉइन अपनाने और डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFi) को बढ़ावा देना है। इस समझौते को पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में “डिजिटल वित्त क्रांति में पाकिस्तान को वैश्विक नेता बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम” बताया।

WLF की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल में जैकरी फोल्कमैन, चेस हेरो और जैकरी विटकॉफ शामिल थे। इस दौरान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर, उपप्रधानमंत्री, सूचना मंत्री और रक्षा मंत्री मौजूद थे। वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने वीडियो कॉल के माध्यम से बैठक में हिस्सा लिया, जबकि पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल के सीईओ बिलाल बिन साकिब, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ऑफ पाकिस्तान (SECP) के चेयरमैन और स्टेट बैंक के गवर्नर भी उपस्थित थे।

ट्रंप के बेटे भी हिस्सेदार

WLF में ट्रंप के बेटे एरिक और डोनाल्ड ट्रंप जूनियर, साथ ही उनके दामाद जैरेड कुश्नर भी हिस्सेदार हैं। ये सभी हाल के वर्षों में दुनिया भर में फायदे के सौदे तलाशते रहे हैं और व्हाइट हाउस के रसूख का इस्तेमाल करने के आरोपों का सामना कर चुके हैं। विटकॉफ खुद न्यूयॉर्क के बड़े रियल एस्टेट अरबपति माने जाते हैं। वह ट्रंप के मार-ए-लागो रिसॉर्ट के नियमित सदस्य हैं। उनके चर्चित कार्यों में इजरायल, यूएई और बहरीन के बीच अब्राहम समझौता कराना भी शामिल है, जो ट्रंप के पहले कार्यकाल की बड़ी कूटनीतिक उपलब्धियों में गिना गया।

अब ट्रंप ने उन्हें रूस-यूक्रेन युद्ध सुलझाने की जिम्मेदारी दी है। और ठीक इसी समय ट्रंप भारत-पाकिस्तान संघर्ष को लेकर भी अपनी “हैंड्स-ऑफ” नीति से हटकर खुद को मध्यस्थ के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या पाकिस्तान के साथ ट्रंप परिवार की क्रिप्टो डील के बदले में ही यह “डिप्लोमैटिक एक्टिविज्म” दिख रहा है?

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पूरे पाकिस्तान में चुन-चुनकर सटीक हमले किए। उसके कई एयरबेस तबाह कर दिए। ऐसे में जब भारत की कार्रवाई जारी थी तभी ट्रंप ने कथित तौर पर मध्यस्थता करा दी। कुछ दिन पहले ही ट्रंप प्रशासन ने इस लड़ाई ले दूर रहने की बात कही थी लेकिन अब अचानक मध्यस्थता कराने का क्रेडिट ले रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ट्रंप ने अपने परिवार के फायदे के लिए पाकिस्तान को भारत के कहर से बचाया?

ट्रंप परिवार की कितनी हिस्सेदारी?

वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल एक डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस प्लेटफॉर्म है, जिसकी 60% हिस्सेदारी DT Marks DEFI LLC के पास है, जो ट्रंप परिवार से संबद्ध एक इकाई है। यह इकाई टोकन बिक्री से होने वाली 75% आय की हकदार है। डोनाल्ड ट्रंप को कंपनी का “चीफ क्रिप्टो एडवोकेट” नामित किया गया है, जबकि उनके बेटे एरिक और डोनाल्ड जूनियर “वेब3 एंबेसडर” और सबसे छोटा बेटा बैरन “DeFi विजनरी” के रूप में सूचीबद्ध हैं। एरिक ट्रंप WLF होल्डको LLC के बोर्ड ऑफ मैनेजर्स में भी शामिल हैं।

कंपनी ने अक्टूबर 2024 में WLFI टोकन बेचकर 300 मिलियन डॉलर जुटाए और USD1 नामक एक स्टेबलकॉइन लॉन्च करने की योजना बनाई है। WLF ने हाल ही में अबू धाबी की एक सरकारी निवेश फर्म के साथ 2 बिलियन डॉलर का सौदा भी किया, जिसने ट्रंप परिवार के कारोबारी हितों और विदेश नीति के बीच संभावित टकराव को लेकर सवाल उठाए हैं।

यह समझौता पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के ठीक पांच दिन बाद हुआ, जिसमें भारत ने दो हमलावरों को पाकिस्तानी नागरिक बताया। इस घटना ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया। भारत की तरफ से इस डील या ट्रंप के रुख पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन दक्षिण एशिया विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का अचानक रुचि दिखाना सिर्फ राजनयिक नहीं, आर्थिक रणनीति भी हो सकती है।

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