पहाड़ में पहली बार दिखा थाईलैंड का राष्ट्रीय पक्षी सियामीज़ फायरबैक, प्रकृति प्रेमियों में उत्साह

0
287

पर्यटन नगरी रानीखेत के वन क्षेत्र में पहली बार थाईलैंड का राष्ट्रीय पक्षी ‘सियामीज़ फायरबैक’ दिखा है। यहां इसके दीदार से प्रकृति और पक्षी प्रेमी चकित हैं। कुमाऊं मंडल विकास निगम के अंतर्गत रानीखेत गैस सर्विस के प्रबंधक सुरेंद्र सिंह जलाल ने हाल ही में बिनसर महादेव मंदिर से करीब 600 मीटर दूर घने जंगल में इसको अपने कैमरे में कैद किया है।

यह पक्षी सामान्यतः थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया और वियतनाम के घने, नम जंगलों में पाया जाता है। इसके धूसर रंग की देह, चमकीले नीले-नारंगी पंख, लाल चोंच और शालीन चाल इसे बेहद आकर्षक बनाते हैं। सूरज की रोशनी में इसके पंखों की धात्विक चमक किसी चित्रकला से कम नहीं दिखती है।

इस पक्षी की उपस्थिति क्षेत्र की जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन का संकेत है। पर्वतीय क्षेत्र में इसका दिखना स्थानीय वन्यजीवों और प्राकृतिक आवास की गुणवत्ता को दर्शाता है। यह ‘अल्प चिंता’ वर्ग में आता है। फिर भी वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन और मानवीय हस्तक्षेप इसके प्राकृतिक आवास के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं।

प्रमुख विशेषताएं

लंबाई- नर– 75–80 सेमी, मादा– 55–60 सेमी।

वजन-1.2 से 1.5 किलोग्राम तक।

नर– धूसर शरीर, चमकीली पीठ, नीली-काली पूंछ

मादा– भूरी, लाल चोंच, गहरी लाल टांगे।

आवास-नम सदाबहार जंगल, शांत पर्वतीय क्षेत्र

आहार-फल, बीज, कीट, पत्तियां और जड़ें।

प्रजनन और व्यवहार
इस पक्षी का प्रजननकाल आमतौर पर मार्च से जून तक होता है। नर पक्षी पंख फैलाकर नृत्य के अंदाज में मादा को आकर्षित करता है। मादा जमीन के पास घोंसला बनाकर 4–6 अंडे देती है। यह स्वभाव से सतर्क, शर्मीला और ज्यादातर समय जमीन पर चहलकदमी करता पाया जाता है।

जब यह पक्षी बिनसर महादेव के आगे जंगल में दिखा तो पहले मुझे यकीन नहीं हुआ। वास्तव में सच सामने होने पर इसकी फोटो खींचना मेरे लिए एक अद्भुत और यादगार अनुभव था। इस दुर्लभ पक्षी का यहां दिखना हमारे पहाड़ों की जैव विविधता के लिए खुशी की बात है। -सुरेंद्र सिंह जलाल, फोटोग्राफर एवं प्रबंधक, रानीखेत गैस सर्विस

सियामीज़ फायरबैक का ऊंचाई वाले क्षेत्र में दिखाई देना पारिस्थितिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह आमतौर पर उष्णकटिबंधीय और नम वनों में पाया जाता है। रानीखेत में इसकी उपस्थिति दर्शाती है कि यहां का पर्यावरण अभी भी संतुलित और जैविक रूप से संपन्न है। –राजेश भट्ट, पक्षी विशेषज्ञ, कॉर्बेट नेशनल पार्क, रामनगर।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here