Sunday, November 24, 2024

Buy now

spot_img

NCERT ने किया बदलाव: अब हड़प्पा की जगह सिंधु सरस्वती सभ्यता पढ़ेंगे छात्र

नई किताब में भारतीय सभ्यता की उत्पत्ति से जुड़े अध्याय में सरस्वती नदी का कई बार जि़क्र किया गया है। इस अध्याय में हड़प्पा सभ्यता की जगह सिंधु-सरस्वती सभ्यता शब्द का इस्तेमाल किया गया है। सरस्वती बेसिन के राखीगढ़ी और गंवरीवाला जैसे बड़े शहरों के साथ-साथ छोटे शहरों और गांवों का उल्लेख भी किया गया है।

अब स्कूलों में छठी कक्षा के छात्र हड़प्पा सभ्यता की जगह सिंधु सरस्वती सभ्यता को पढ़ेंगे। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने छठी कक्षा के लिए सामाजिक विज्ञान की किताब को कुछ बदलावों के साथ तैयार किया है। इसमें हड़प्पा सभ्यता की जगह सिंधु सरस्वती सभ्यता शब्द का जिक्र किया गया है। वहीं नई किताब में जाति शब्द का सिर्फ एक बार जिक्र है। जाति आधारित भेदभाव और असमानता का भी जिक्र नहीं है। बीआर आंबेडकर से जुड़े जाति आधारित भेदभाव के सेक्शन को भी हटा दिया गया है।

एनसीईआरटी की छठी कक्षा की इस पुस्तक में भूगोल वाले हिस्से से हिमालय के संदर्भ में कालिदास की रचना कुमारसंभव का जिक्र किया गया है। किताब में बच्चों को यह पढने को मिलेगा कि भारत की अपनी एक प्रधान मध्याह् रेखा थी, जिसे उज्जैनी प्रधान मध्याह् रेखा कहा जाता था। यह पुस्तक राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 के तहत तैयार की गई पहली सामाजिक विज्ञान की पुस्तक है, जिसे मौजूदा शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में पढ़ाया जाएगा। पहले सामाजिक विज्ञान के लिए इतिहास, राजनीति विज्ञान और भूगोल के लिए अलग-अलग पाठ्यपुस्तकें थी। अब सामाजिक विज्ञान के लिए एक ही पाठ्य पुस्तक है, जिसे पांच खंडों में विभाजित किया गया है। पुरानी इतिहास की किताब में सरस्वती नदी का जि़क्र सिर्फ एक बार ऋग्गवेद के एक खंड में किया गया था।

नई किताब में भारतीय सभ्यता की उत्पत्ति से जुड़े अध्याय में सरस्वती नदी का कई बार जि़क्र किया गया है। इस अध्याय में हड़प्पा सभ्यता की जगह सिंधु-सरस्वती सभ्यता शब्द का इस्तेमाल किया गया है। सरस्वती बेसिन के राखीगढ़ी और गंवरीवाला जैसे बड़े शहरों के साथ-साथ छोटे शहरों और गांवों का उल्लेख भी किया गया है। नई पाठ्यपुस्तक में जिक्र किया गया है कि सरस्वती नदी वर्तमान में भारत में घग्गर और पाकिस्तान में हकरा के नाम से जानी जाती है। यह मौसमी नदी है।

कोविड से जुड़े पाठों को भी बदला
नई किताब में कोविड-19 से जुड़े पाठों को भी बदला है। पुस्तक में से अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य के राज्यों से संबंधित पाठों और चाणक्य और उनके अर्थशास्त्र, गुप्तपल्लव, चालुक्य वंश एवं कालिदास के कामों को भी जगह नहीं दी गई है। लौह स्तम्भ, सांची स्तूप, महालीपुरम के मंदिरों और अजंता की गुफाओं के चित्रों का जिक्र भी पुस्तक में नहीं है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

error: Content is protected !!